Saturday, November 07, 2009

ghunghat ke pat khol - Kabir

घूँघट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे
घट-घट में तोरे साईं बसत ह
कठू बचन मत बोल रे, तोहे पिया मिलेंगे
घूँघट के पट खोल रे

धन-जोबन का गर्ब न कीजे, झूठा इनका मोल रे
तोहे पिया मिलेंगे

जा के जतन से रंग-महल मे, पिया पायो अनमोल रे
घूँघट के पट खोल रे

सूने मन्दिर दिया जला के
आसन से मत डोल रे
तोहे पिया मिलेंगे

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