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There are two version of Bhaja Govindam that i have read, one is the south indian one rendered by MSS, the other is available in the gita press works, as Charpat Panjakrika strotam. Both are similar with minor differences.
here are my fav verses from the chant
नलिनी दलगत जल मति तरलम
तद वज्जीवितम अतिशय चपलम
विद्धि व्याध्य अभिमाना ग्रसतम
लोकं शोकहतम च समस्तं
काते कांता कस्ते पुत्रः
संसारो यमतीव विचित्र:
कस्य त्वं क: कुत आयातः
तत्त्वं चिन्तया तदिह भ्रातः
सत्संगत्वे निस्संगत्वं
निस्संगत्वे निर्मोहत्वं,
निर्मोहत्वे निश्चलतत्वं
निश्चलतत्वे जीवनमुक्तिः
वयासिगते कः काम विकारः
शुष्के नीरे क: कासारः
क्षीणे वित्ते क: परिवार:
ज्ञाते तत्त्वे कः संसार
भजगोविन्दम भजगोविन्दम
गोविन्दम भजमूढ़मते
संप्राप्ते सन्निहिते काले
नही नही रक्षति डुंक्रुजकरणे
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1 comment:
Bhaj govindam
Bhaj gopaalam
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