Sunday, August 27, 2006
vatapi ganpathim
vatapi ganpatim
is famous kriti in hansadhwani--- a carnatic raag that has been lapped up by hindustani musicians too.
on the auspcious day of ganesh chaturthi enjoy this famous dikshitar stuti--
vataphi ganpathim
the image has been taken from PP NarayanSwamis collection of kritthis
Saturday, August 19, 2006
manas- sab janat prabhu prabhuta soi
सब जानत प्रभु प्रभुता सोई। तदपि कहें बिनु रहा न कोई।।
तहाँ बेद अस कारन राखा। भजन प्रभाउ भाँति बहु भाषा।।
एक अनीह अरूप अनामा। अज सच्चिदानंद पर धामा।।
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना। तेहिं धरि देह चरित कृत नाना।।
सो केवल भगतन हित लागी। परम कृपाल प्रनत अनुरागी।।
जेहि जन पर ममता अति छोहू। जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू।।
गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी। करहि पुनीत सुफल निज बानी।।
तेहिं बल मैं रघुपति गुन गाथा। कहिहउँ नाइ राम पद माथा।।
मुनिन्ह प्रथम हरि कीरति गाई। तेहिं मग चलत सुगम मोहि भाई।।
तहाँ बेद अस कारन राखा। भजन प्रभाउ भाँति बहु भाषा।।
एक अनीह अरूप अनामा। अज सच्चिदानंद पर धामा।।
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना। तेहिं धरि देह चरित कृत नाना।।
सो केवल भगतन हित लागी। परम कृपाल प्रनत अनुरागी।।
जेहि जन पर ममता अति छोहू। जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू।।
गई बहोर गरीब नेवाजू। सरल सबल साहिब रघुराजू।।
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी। करहि पुनीत सुफल निज बानी।।
तेहिं बल मैं रघुपति गुन गाथा। कहिहउँ नाइ राम पद माथा।।
मुनिन्ह प्रथम हरि कीरति गाई। तेहिं मग चलत सुगम मोहि भाई।।
Sunday, August 13, 2006
dedication
this post is dedicated to thyagraja
and his fantabulous compostions
one of which i have fallen in love recently is
marugelara O raghava
and his fantabulous compostions
one of which i have fallen in love recently is
marugelara O raghava
Thursday, August 10, 2006
jay jay sur nayak
tulasi in his magnum opus makes this stuti as the stuti which led to raamavtaar
naturally its a beautiful one :-)
from baalkaaand .... and soon after this comes the my fav bhaye parkat kripaala
naturally its a beautiful one :-)
from baalkaaand .... and soon after this comes the my fav bhaye parkat kripaala
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता ।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता ॥
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई ।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई ॥
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा ।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा ॥
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा ।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा ॥
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा ।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा ॥
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा ।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा ॥
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना ।
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना ॥
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा ।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा ॥
जानि सभय सुरभूमि सुनि बचन समेत सनेह ।
गगनगिरा गंभीर भइ हरनि सोक संदेह ॥
Sunday, August 06, 2006
Saturday, August 05, 2006
akhilandeshwari --- akhilandeswari
Dikshitar has written amazing stutis in sanskrit.
my current favorite is akhilandeshwari .
a beautiful hymn dedicated to godess; it is titled akhilandeshwari.
this is in aggrement with the hindu beleif of creation.
Akhil= entire and= egg
those who are aware of the hiranya-garbh concept will draw a quick parellel between the two.
This self-fertility or homo-conception is not new to Indian minds.
Even in vishnu sahasranaam .... vishnu is addresses as vishwa yoni (meaning, one who has the world in his womb)
It must also be noted here that while Antrhopomorphic notions of God are prevalent in Indian scriptures, divnity is not striclty tied to His human form.
enjoy akhilandeshwari
it has been taken from a compilation of dikshitkar kritis by PP Narayanswami
Tuesday, August 01, 2006
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