Sunday, August 31, 2008

Kab ? Kab ? Kab ?

ये जो जल रहा है
भीतर चल रहा है
कब तक जलेगा ?
कब तक चलेगा ?

क्यों हर वक्त
होती है चाहत की
कुछ हो ?

क्या जीवन का होना काफी नही ?
क्या वो "कब" आयेगा ,
जब कुछ होने को बाक़ी नही ?

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