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Monday, February 11, 2008
dohe
मन मे रखूं तो मोरा मन जले
कहूँ तो मुख जल जाए
जैसे गूंगे को सपना भयो
समझ समझ पछताए
पीतम हम तुम एक हैं
कहन सुनन में दो
मन को मन से तोलिए
दो मन कभी न होय
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