नैहरवा हम का न भावे साईं की नगरी परम अति सुन्दर, जहाँ कोई जावे न आवे चाँद सूरज जहाँ, पवन न पानी, को सुन्देश पहुँचावे? दर्द यह साईं को सुनावे आगे चलो पंथ नहीं सूझे, पीछे दोष लगावे कही बिधि ससुरे जाऊ मोरी सजनी, विरह जोर जरावे विषय रस नाच नचावे बिन सतगुरु अपनों नहीं कोई, जो यह राह बतावे कहत कबीरा सुनो भाई साधो, सुपने न पीतम आवे तपन यह तन की बुझावे
some typos there , since i used a translation engine will correct them sometime. web has also some other versions by kailash kher and vikram hazra
its amazing blog, thanks a lot
ReplyDeletethanks
ReplyDelete-ashu
very very beautiful! both the bhajan and the singing! thanks you!
ReplyDeleteवेरी नाइस
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